केंद्रीय रेलमंत्री सुरेश प्रभु के सुझावों पर गौर कर वित्त मंत्री अरुण
जेटली ने रेल कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों को दूर नहीं किया तो देशभर
में 11 जुलाई को रेलों के चक्के थम जाएंगे।
यह बात सोमवार को नागदा आए वेस्टर्न रेलवे मजदूर संघ के महामंत्री एवं
एनएफआईआर (नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे मेन्स) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
जे.जी. माहुरकर ने प्रेस काॅन्फ्रेंस में कही। चर्चा में सख्त लहजे में
माहुरकर ने कहा कि रेलवे के अफसर नेताओं के चम्मच है।
कारण अफसरों के घर काम रहे 1 लाख रेलवे कर्मचारी हैं, जो काम अफसरों के
यहां करते हैं, लेकिन इन्हें वेतन रेलवे देता है। रेलवे घाटे में है। सरकार
नहीं। इसके पीछे कारण 25 हजार करोड़ रुपए के रियायती पास है। जिनका लाभ
नेता से लेकर अफसरों के परिवारों को ही मिलता है। कायदे से सरकार को
रीइंबर्समेंट के माध्यम से रेलवे को यह रुपया लौटाना चाहिए। माहुरकर ने
यहां कर्मचारियों के सम्मेलन को भी संबोधित किया। इस दौरान पूर्व विधायक
दिलीपसिंह गुर्जर, इंटक नेता विजयसिंह रघुवंशी, वेस्टर्न रेलवे मजदूर संघ
के जोनल प्रेसीडेंट शरीफ खान पठान, रतलाम मंडल मंत्री बी.के. गर्ग, मंडल
अध्यक्ष जसविंदर सिंह, आर.के.बी. राठौड़ आदि उपस्थित रहे। संगठन हित में
राठौड़ के योगदान पर अतिथियों ने उनका सम्मान भी किया। संचालन शाखा सचिव
एम.आर. मंसूरी ने किया। आभार शाखा अध्यक्ष रशपालसिंह ने माना।
डेढ़ लाख से अधिक पद है खाली- माहुरकर ने बताया- रेलवे में सुरक्षा से जुड़े
डेढ़ लाख पद रिक्त है। कर्मचारियों पर 24 घंटे काम का दबाव है। बावजूद उनसे
अपेक्षा की जाती है, वे बेहतर करें तो वेतन भी उन्हें इसी अनुपात में मिलना
चाहिए। माहुरकर ने कर्मचारियों की मांगों पर रोशनी डालते हुए बताया कि
रेलमंत्री सुरेश प्रभु कर्मचारियों की न्यायोचित मांगों का गंभीरतापूर्वक
समाधान करने के पक्ष में है, लेकिन वित्त मंत्री जेटली का रवैया सकारात्मक न
होने से अनिर्णय की स्थिति निर्मित हुई है। मजबूरन संगठन को आंदोलन की
दिशा में आगे बढ़ना पड़ा है।
लालू ने बोला झूठ, ममता ने उठाया सच से पर्दा- यूपीए सरकार के कार्यकाल में
रेलवे के हजारों करोड़ रुपए लाभ में होने के सवाल पर माहुरकर ने स्पष्ट
किया कि पूर्व रेलमंत्री लालूप्रसाद यादव ने सफेद झूठ बोलकर जनता को भ्रम
में डाला। लालू के बाद रेलमंत्री बनी ममता बनर्जी ने इस झूठ से पर्दा
हटाया। तब ममता ने प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह से श्वेत पत्र जारी करने को भी
कहा था। लेकिन सरकार की किरकिरी के डर से इस झूठ पर पर्दा पड़े रहने दिया
गया।
9 जून को भेजेंगे हड़ताल का नोटिस
सम्मेलन में माहुरकर ने बताया कि 7वें वेतन आयोग ने न्यूनतम वेतन 18 हजार
रुपए सुझाया है। जबकि जेसीएम की स्टाफ साइट की मीटिंग में वेतन 26 हजार
रुपए किये जाने की मांग की गई थी। छठे वेतन आयोग में 54 प्रतिशत वेतन लाभ 1
जनवरी 2006 से दिया गया था। लेकिन 7वें वेतन आयोग में इसे कम कर 14.3
प्रतिशत बढ़ाने का ही सुझाव दिया गया है। जो केंद्रीय कर्मचारियों के साथ
अन्याय है। इसके अलावा केंद्रीय कर्मचारियों के विभिन्न भत्तों जो काम के
मान से तय थे। उन्हें निरस्त करने की अनुशंसा की गई है। मकान किराया भत्ता
30 प्रतिशत, 20 प्रतिशत एवं 10 प्रतिशत से कम कर 24 प्रतिशत, 16 प्रतिशत
एवं 8 प्रतिशत एक्स, वाई, जेड शहरों के लिए सुझाया है, जो कर्मचारी विरोधी
है। माहुरकर ने सरकार द्वारा रेल कर्मचारियों के लिए 1 अप्रैल 2014 से लागू
की गई न्यू पेंशन स्कीम को खत्म करने की मांग किए जाने संबंधी मुद्दे पर
कहा कि इस मांग को नहीं मानना भी विरोध का कारण बनता जा रहा है। नेशनल
ज्वाइंट एक्शन कमेटी के निर्देश पर कर्मचारियों द्वारा स्ट्राइक बैलेट के
तहत अनिश्चितकालीन हड़ताल के पक्ष में मतदान भी किया गया था। 11 मार्च 2016
को मुंबई स्थित जीएम कार्यालय के समक्ष एक मीटिंग में यह निर्णय हुआ है कि
9 जून 2016 को महाप्रबंधक पश्चिम रेलवे को हड़ताल का नोटिस देने के बाद
आगामी 11 जुलाई को सुबह 6 बजे से देशभर के रेल कर्मचारी हड़ताल पर उतर
जाएंगे।
Read at: Dainik Bhasker
SOURCE - staff news.
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