This is a collection of Original Creation by Nilesh Mishra
कहानी 41:
ये कहानी है दीपक मिश्रा भाई की। महाभियोग वाले नही, अपने B.Tech फेल बाराबंकी वाले। बात उन दिनों की है जब यूनिनॉर के पोस्टर भारत की पाक भूमि पर छाए हुए थे औऱ बाराबंकी के बारे में कहा जाता था कि यहां किसी भी लड़के के ऊपर पत्थर मारो तो या तो वो सरकारी कर्मचारी निकलेगा या आशिक। कुछ ऐसा ही दबाव दीपक भाई पर भी था। पहला विकल्प तो भाई के लिए मुश्किल था। खैर 2-3 attempt के बाद सही कन्या पट गई जिसके पिता लखनऊ की किसी सॉफ्टवेयर टेस्टिंग कम्पनी के मालिक थे। भाई ने अपनी ID पे 2 यूनिनॉर के सिम लिये और शुरू हुआ भाभी जी से फ्री बातो का सिलसिला । खैर कुछ समय बाद बेरोजगारी Gym की पर्सनालिटी पर भारी पड़ ही जाती है और वैसे भी नारी पुनर्जागरण के इस काल मे कन्याएं भावुकता को पीछे छोड़ दिमाग पे ज्यादा जोर देने लगी है। मिल गया कोई B.Tech का टॉपर पूत। भाई को चोट तो बहुत लगी लेकिन भाई रोया नही और कस्टमर केयर पर फोन करके पहले तो यूनीनॉर का gifted सिम ब्लॉक करवाया और फिर सिम खोने की प्राथमिकी दर्ज करा के भाई अपना पहुंचा सीधे कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव के पास और सब ID इत्यादि की कापी दिखा के निकलवा ली काल डिटेल और धन्य हो true caller का की भाई साहब ने पता लगा ही लिया कि कौन है प्रतिद्वंदी और लेके आम की पेटी पहुँच गए ex-भाभी के पिता जी के पास , पहले राउंड में ही पैर छू के दिल जीत लिए औऱ दूसरे ही राउंड में पोल खोल के हीरो बन गये और पिता जी अमरीश पुरी। बहरहाल पिता जी ने मिश्रा जी के IT ज्ञान से प्रभावित होकर उन्हें अपनी कंपनी में बतौर HR मैनेजर रख लिया। आजकल अपना भाई इंजीनियरिंग कॉलेजों में जा कर टॉपरों के इंटरव्यू लेता है और कोई शक नही की उन्हें छोड़कर बाकियों को सेलेक्ट कर लेता है।
(नोट: इस कहानी में बाराबंकी और यूनीनॉर को छोड़कर बाकी सब काल्पनिक है।)
(नोट: इस कहानी में बाराबंकी और यूनीनॉर को छोड़कर बाकी सब काल्पनिक है।)
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