This is a collection of Original Creation by Nilesh Mishra
कहानी 50: Need
"यार इन सबको बैठने को कुर्सी मेज, पेंटियम IV कंप्यूटर, उषा का कूलर सब तो दे दिया यहां तक कि ग्रेड पे भी बढ़ा दी फिर भी ये सन्तुष्ट नही दिखते। आखिर अब क्या करूँ मैं!!"
'अच्छे' साहब खुद से बड़बड़ाये। तत्पश्चात श्री अमित शाह जी को कर्मचारी satisfaction हेतु नीति बनाने को बुलाया गया। उन्होंने आते मान 50 Daily Wages वाले वर्कर रखे जिनको हर 500 स्टाफ के लिए चाय पानी लाने, डांट खाने, बात सुनाने , तेल लगाने , हाँ में हां मिलाने, हर छोटी छोटी बात के लिए स्टाफ मेंबर्स के सामने गिड़गिड़ाने इत्यादि कार्यो के लिए रखा गया और उन स्टाफ मेंबर्स को बताया गया कि इन्हें 8 घंटे के लिए आप अपना गुलाम समझिए हालांकि इनसे कार्यालय संबंधी कोई कार्य नही लिया जाए। इसी के साथ सभी स्टाफ के वेतन से 20% "मेन्टेनेंस टैक्स" नाम से कटौती शुरू कर दी गई जिससे Daily Wages वालो की तनख्वाह निकले और उन्हें बाकायदा तनिक भी आत्म सम्मान के बिना वाली गुलामी की ट्रेनिंग दी गई औऱ बताया गया की वे अपने वेतन का आधा हिस्सा उन स्टाफ वालो को धीरे धीरे बतौर "चढ़ावा" प्रदान किया करें।
इस क्रांतिकारी व्यवस्था के बाद सभी कर्मचारियों के output और satisfaction level में जबरदस्त उछाल आया। और कर्मचारियों पर होने वाला ख़र्चा daily wages वालो के वेतन को मिला के भी पहले से कम हो गया। 'अच्छे' साहब अत्यन्त प्रसन्न हुए और श्री अमित शाह को बधाई देते हुए कहा कि "भाई ये आपने कैसे कर लिया"
श्री अमित शाह बोले "भइया सब जरूरत का अर्थशास्त्र है बस समझ आना चाहिए कि किसे क्या चाहिए। इन्हें चाहिए थी इज्जत जो दूसरों की बेज्जती करने से ही मिलती है, उन्हें रोजगार और हमे 2019 में वोट। "
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