This is a collection of Original Creation by Nilesh Mishra
कहानी 58: Compatibility
अशांत पटेल किसी विभाग में वरीष्ठ सहायक थे। परिवार की जिम्मेदारी प्रारंभ से उन्ही के कंधों पर थी इसलिए शिक्षा समाप्ति से पहले ही जीविकोपार्जन में लग गए और किसी तरह से इस पद को पा लिए। कालान्तर में पटेल जी का विवाह कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। पटेल जी ने कन्या को आगे बढ़ने और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए बहुत प्रेरित किया और भरपूर सहयोग दिया। 2 साल बाद कन्या का सिविल सर्विस में आईएएस पद पर चयन हो गया। खूब मिठाइयां बंटी। पटेल जी एकदम गदगद थे। खैर ट्रेनिंग का दौर शुरू हुआ। इधर पहले दबी जुबान से और फिर धीरे धीरे खुल के लोगो ने तंज कसना शुरू किए - "लड़की अधिकारी - लड़का बाबू ! क्या कॉम्बिनेशन है" मीडिया भी इंटरव्यू लेने के दौरान ये बताने से कभी नही चूकी कि किस तरह से विवाहित होने के बावजूद 'अपने' दम पे देश की बिटिया ने मुकाम हासिल किया । बहरहाल पटेल जी को शुरू में बिल्कुल फर्क नही पड़ा क्योंकि ये उनका ही सपना था जो अब पूरा हुआ था। लेकिन 2 साल का लंबा दौर, नकारात्मकता का वातावरण - "अबे तुम तो बाबू ही रह गए और भाभी जी को देखो, मिल कैसे गई तुमको" और फेसबूक पर बेहतरीन कैमरे से बैचमेटो के साथ खिंचाई गई फ़ोटो कहीं न कहीं मन पर प्रभाव छोड़ने लगी। ऊपर से भाभी जी द्वारा ड्रेसिंग सेंस और अन्य आदतों पे बार -बार टोकना, 'पति क्या करते है' जैसे सवालों पर टॉपिक बदल देना , भाईसाहब से रूखा व्यवहार जबकि अपने कैडर वालो से खिलखिलाना इत्यादि बदलाओ ने भी पटेल जी को निराशा के गर्त में धकेल दिया। आखिरकार एक दिन बवंडर आ ही गया जब भाभी जी ने बोल ही दिया "We are not compatible". पटेल जी अब करते भी तो क्या करते। UPSC और लड़की पटाने- दोनों की उम्र निकल चुकी थी। अब तो सिर्फ ट्रेन की पटरियां या नदी के ऊपर का पुल ही दिखता था। लेकिन पटेल जी ने हिम्मत नही हारी। और लग गए लेखन कार्य मे। अपने जीवनसे प्रेरित घटनाओ को शब्दों में समेट कर एक पुस्तक लिखी जो विश्वप्रसिद्घ हो गई व जिसके लिये पटेल जी को Man Booker पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। अब पटेल जी लन्दन में विश्व की नामी गिरामी पत्रिका के प्रमुख सम्पादक है जहाँ उनके केबिन में आपको बैकग्राउंड में ये गाना जरूर सुनने को मिल जाता है- "रुक जाना नही, तू कभी हार के। कांटो पे चल के मिलेंगे साये बहार के"।
--
नीलेश मिश्रा
कहानी 58: Compatibility
अशांत पटेल किसी विभाग में वरीष्ठ सहायक थे। परिवार की जिम्मेदारी प्रारंभ से उन्ही के कंधों पर थी इसलिए शिक्षा समाप्ति से पहले ही जीविकोपार्जन में लग गए और किसी तरह से इस पद को पा लिए। कालान्तर में पटेल जी का विवाह कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। पटेल जी ने कन्या को आगे बढ़ने और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए बहुत प्रेरित किया और भरपूर सहयोग दिया। 2 साल बाद कन्या का सिविल सर्विस में आईएएस पद पर चयन हो गया। खूब मिठाइयां बंटी। पटेल जी एकदम गदगद थे। खैर ट्रेनिंग का दौर शुरू हुआ। इधर पहले दबी जुबान से और फिर धीरे धीरे खुल के लोगो ने तंज कसना शुरू किए - "लड़की अधिकारी - लड़का बाबू ! क्या कॉम्बिनेशन है" मीडिया भी इंटरव्यू लेने के दौरान ये बताने से कभी नही चूकी कि किस तरह से विवाहित होने के बावजूद 'अपने' दम पे देश की बिटिया ने मुकाम हासिल किया । बहरहाल पटेल जी को शुरू में बिल्कुल फर्क नही पड़ा क्योंकि ये उनका ही सपना था जो अब पूरा हुआ था। लेकिन 2 साल का लंबा दौर, नकारात्मकता का वातावरण - "अबे तुम तो बाबू ही रह गए और भाभी जी को देखो, मिल कैसे गई तुमको" और फेसबूक पर बेहतरीन कैमरे से बैचमेटो के साथ खिंचाई गई फ़ोटो कहीं न कहीं मन पर प्रभाव छोड़ने लगी। ऊपर से भाभी जी द्वारा ड्रेसिंग सेंस और अन्य आदतों पे बार -बार टोकना, 'पति क्या करते है' जैसे सवालों पर टॉपिक बदल देना , भाईसाहब से रूखा व्यवहार जबकि अपने कैडर वालो से खिलखिलाना इत्यादि बदलाओ ने भी पटेल जी को निराशा के गर्त में धकेल दिया। आखिरकार एक दिन बवंडर आ ही गया जब भाभी जी ने बोल ही दिया "We are not compatible". पटेल जी अब करते भी तो क्या करते। UPSC और लड़की पटाने- दोनों की उम्र निकल चुकी थी। अब तो सिर्फ ट्रेन की पटरियां या नदी के ऊपर का पुल ही दिखता था। लेकिन पटेल जी ने हिम्मत नही हारी। और लग गए लेखन कार्य मे। अपने जीवनसे प्रेरित घटनाओ को शब्दों में समेट कर एक पुस्तक लिखी जो विश्वप्रसिद्घ हो गई व जिसके लिये पटेल जी को Man Booker पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। अब पटेल जी लन्दन में विश्व की नामी गिरामी पत्रिका के प्रमुख सम्पादक है जहाँ उनके केबिन में आपको बैकग्राउंड में ये गाना जरूर सुनने को मिल जाता है- "रुक जाना नही, तू कभी हार के। कांटो पे चल के मिलेंगे साये बहार के"।
--
नीलेश मिश्रा
- Original Stories By Author (56): Wisdom Vs. GST
- Original Stories By Author (55): Berojgaar
- Original Stories By Author (54): PCS Pandey
- Original Stories By Author (53): Awasthi Vs Ghaplu
- Original Stories By Author (52): Electricity Department
- Original Stories By Author (39): FIR
- More Stories
EmoticonEmoticon