This is a collection of Original Creation by Nilesh Mishra
कहानी 10:
किसी विभाग मे एक जनाब हुआ करते थे । बाकी सब तो ठीक था लेकिन बस कार्यस्थल
गृह जनपद न होने से थोड़ा तकलीफ मे रहते थे । संयोग कुछ यूं बना की इधर उधर
जुगाड़ पानी से भाई साहब का स्थानांतरण उनके गृह जनपद मे हो गया । भैया जी
इस बात से इतने प्रसन्न और उत्साहित हुए की उन्होने इस एहसान के बदले विभाग
को अपना 100% देने की ठानी। खूब दिल लगा कर कार्य किया, दिन रात कभी देखा
भी नहीं। घर वालों को इस दौरान कभी लगा भी नहीं की भैया जी सरकारी विभाग के
मातहत है । भैया जी से जब भी पुछो की मालिक
इतना काम करने से तुम्हें कौन सा तमगा मिल जाएगा, प्रोन्नति इत्यादि तो
अपने समय पर ही होंगी न किन्तु भैया जी का मानना था की देश सेवा से बड़ी कोई
सेवा नहीं है और विभाग की सेवा देश सेवा है । बहरहाल उनकी इस सेवा भाव से
उनका कुछ भला हुआ हो न हो लेकिन उनके ऊपर बैठे लोगो को काफी लाभ हुआ आखिर
सबका काम जो हुआ । सीआर बढ़ी सो अलग। कालांतर मे सत्ता परिवर्तन हुआ और भैया
जी का पुनः किसी दूर दराज के इलाके मे स्थानांतरण हो गया, वजह किसी दूसरे
जुगाड़ वाले ने जुगाड़ लगा लिया था ।
अब भैया जी भविष्य मे देशसेवा करेंगे या नहीं ये तो नहीं पता । लेकिन "जुगाड़" और "मेहनत" मे कौन बादशाह है, इसका शायद उन्हे आभास हो गया होगा ।
अब भैया जी भविष्य मे देशसेवा करेंगे या नहीं ये तो नहीं पता । लेकिन "जुगाड़" और "मेहनत" मे कौन बादशाह है, इसका शायद उन्हे आभास हो गया होगा ।
PS: उपरोक्त कथा का लेना देना लगभग सभी सरकारी कर्मचारियो से है ।
---नीलेश मिश्रा
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