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Original Stories By Author (60): International Bhikhari

This is a collection of Original Creation by Nilesh Mishra

कहानी 60: इंटरनेशनल भिखारी

शर्मा जी की बड़ा लड़का IIT वाला इंजीनियर था। लिहाजा छोटे लड़के पर भी काफी दबाव था इंजीनियर बनने का। लेकिन उसके Genes बड़े भाई से अलग थे। UPTU के किसी कॉलेज से किसी तरह इंजीनियरिंग तो कर ली लेकिन हर जगह नौकरी में दिक्कत आई क्योंकि 4 साल की डिग्री में यूनिवर्सिटी के 4 बार नाम बदल चुके थे। एक बार भाई साहब किसी चौराहे पर खड़े थे कि तभी एक भिखारी "बाबू जी बाबू जी" कहते हुए अत्यंत हृदय विदारक भंगिमा लिए उनके सामने प्रगट हो गया। ATM से अभी अभी निकाल के लाये 2000 रुपये के अलावा उनके पास कुछ नही था। परंतु भिखारी द्वारा 2000 रुपये का छुट्टा दिए जाने से वे इतने प्रभावित हुए कि उसी पल से इस व्यवसाय को अपना पेशा बनाने का निर्णय कर लिया। शहर के 100 भिखारियों को इकठ्टा कर एक सहकारी संस्था बनाई जिंसकी पहली मीटिंग में Paytm से भीख लेने का प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हो गया। इसके पश्चात हए मुनाफे से Cambridge Analytica और Google की Data analysis service का प्रयोग कर शहर के उन स्थानों और समय को चिन्हित किया गया जहां भीख मिलने की संभावना ज्यादा हो साथ ही भिखारियों को पहचान के लिए Bio-metric Enabled कार्ड भी दिए गए और उनका ड्रेस कोड भी fix किया गया। प्रयोग सफल रहा। सहकारी संस्था पूरे देश मे पैर पसार गई और इस तरह इसका नाम हो गया भिखारी कम्पनी ऑफ इंडिया लिमिटेड और टर्नओवर हो गया 10 करोड़ सालाना से ज्यादा। ड्रोन से पैसा कलेक्शन हो या PayPal से इंटरनेशनल भीख, आधुनिक तकनीक का जमकर प्रयोग किया गया। लेकिन भारी टैक्स और प्रति व्यक्ति लिमिटेड भीख के कारण मुनाफे का वो स्तर बन नही पा रहा था। तभी भाई साहब को किसी ने NGO बनाने के बारे में बताया जिंसमे Tax Evasion के साथ साथ Incoming Funds की भी कोई लिमिट नही थी। बस फिर क्या था, भाई साहब ने कम्पनी को NGO में बदल दिया और International Fedration For Beggars Welfare नाम से NGO की स्थापना की। वेबसाइट, फेसबूक पेज, यूट्यूब चैनल, इंस्टाग्राम, ट्विटर कुछ बाकी नही छोड़ा गया जहां अपनी उपस्थिति दर्ज न कराई हो। शुरू शुरू में तो चंदे के पैसे से थोड़ा बहुत गरीबो का भला करते हुए फ़ोटो वीडियो शेयर भी कर दिया जाता था लेकिन बाद में पता चला कि फोटोशॉप  ज्यादा सस्ता, सुगम और प्रभावशाली उपकरण है। बाकी धुंआधार विज्ञापन के लिए Adwords और अन्य साधन तो उपलब्ध थे ही। मुनाफा 100 करोड़ को पार कर गया और आज भाई साहब अपने बड़े भाई से ज्यादा नामी और पैसे वाले व्यक्ति हैं और किसी भी अपरिहार्य स्थिति में फसने की स्थिति में देश से बाहर जाने और एंटीगुआ देश की नागरिकता लेने का फुल बैकअप प्लान तैयार रखा है। 


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नीलेश मिश्रा


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