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SC/ ST Act 1989 : A Brief Overview in Hindi

यह कानून 1989 में राजीव गांधी की सरकार के समय बनाया गया था ।उस वक्त भारतीय दंड सहिंता (IPC) 1860, सिविल प्रोटेक्शन राइट 1955 द्वारा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की  आर्थिक  व सामाजिक स्थिति में कोई सुधार नही आया जिसके कारण इस एक्ट को बनाने की आवश्यकता पड़ी संसद में SC/ST Act 1989 पास कर दिया गया जिसे राष्ट्रपति द्वारा 1990 में पास किया गया तबसे ये पूरे भारत मे सिवाय जम्मु कश्मीर लागू है। 

अब बात करते है कि SC/ST Act 1989 है क्या?
तो आइए जानते है ....
* यह हर उस शख्स पर लागू होता है जो अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति समुदाय का नही है
* इस के तहत भारतीय दंड सहिंता व अनुसूचित जाति व जनजाति 1989 एक्ट दोनो के तहत कार्यवाही की जाती है  जिसके लिए 75000  से 8 लाख तक का जुर्माना लगाया जाता है 
*  इस एक्ट के तहत महिलाओं के ख़िलाफ़ पीड़ितों को राहत राशि और साथ मे  अलग  से मेडिकल जांच की व्यवस्था है
SC/ST Act 1989 के मामलों में पीड़ितों को सरकार की ओर से आर्थिक मदद भी की  जाती है

*   अब जान ले कि ये अपराध कौंन कौन से है?
1. SC/ST को किसी तरह अपमानित करना या उसके कपड़े उतार कर नंगा करना
2. सामाजिक बहिष्कार करना
3. सार्वजनिक स्थान पे जाने से रोकना 
4.उसे किसी मकान को छोड़ने के लिए मजबूर करना 
5. किसी महिला को अपमानित करना
6.अपने वोट देने के लिए बाध्य करना
7.उन्हें कही प्रवेश से रोकना
8. उनको नौकरी न देना या नौकरी से निकलना
9.उन्हें नीचा दिखाना अपशब्द कहना 
10. उनके साथ भेदभाव करना
इन मामलों में IPC तो लगेगी ही साथ मे SC/ST Act भी लगेगा 

कोई आम आदमी यदि ऐसा अपराध करता है तो शिकायत मिलते जी तुरंत FIR दर्ज की जाएगी औऱ तुरंत गिरफ्तारी हो जाएगी बिना किसी इजाजत औऱ जांच के  उसे IPC + SC/ST के तहत 6 महीने से उम्रकैद तक सजा का प्रावधान है साथ मे जुर्माना भी और उसे Anticipatory Bail (जेल गए बगैर मिलने वाली बेल)  भी नही मिलेगी और यदि ऐसा अपराध किसी सरकारी अधिकारी द्वारा किया गया है तो पहले जाँच की जाएगी। अगर वह दोषी पाया गया तो ही उसकी गिरफ्तरी की जाएगी जिसमे सजा IPC के साथ SC/ST एक्ट के तहत उसे 6 महीने से एक साल तक

* SC/ST Act के लिए हर राज्य में एक स्पेशल कोर्ट का प्रावधान है जिसमे तुरंत कारवाही होती है और व्यक्ति गिरफ्तार होते ही 60 दिन के अंदर चार्जशीट फ़ाइल हो जानी चाहिए

हॉल ही में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड बयूरो की रिपोर्ट के अनुसार 2016 के अनुसार 11060 में 935 शिकायते गलत पायी गई सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने इस कानून में कुछ बदलाव  किये जिससे इस कानून का दुरुपयोग न हो 
1. SC/ST Act के मामले की जाँच कम से कम डिप्टी SP रैंक का अधिकारी करे (जो कि पहले इंस्पेक्टर रैंक का करता था)
2. सरकारी अधिकारी को अरेस्ट करने से पहले मजिस्ट्रेट के द्वारा जांच की जाए (जो पहले नही था)
3. Anticipatory bail दी जाए (जो पहले नहीं दी जाती थी)
4. Anticipatory bail मजिस्ट्रेट भी दे सके (जो पहले हाई कोर्ट द्वारा ही था)
5. आम आदमी के मामले में भी जिले के SP या SSP की सहमिति लेनी होगी तुरंत गिरफ्तारी न हो

आलोचना : 
2016 के National क्राइम रिपोर्ट के अनुसार केवल 15 % रिपोर्ट ही झूठी है जबकि बाकी ममामले  सही पाए गए

SC/ST Act, 1989 अमेंडमेंट एक्ट  के पुराने कानून को फिर बहाल कर दिया गया है यानी
1.FIR मिलते ही गिरफ्तार
2. बिना किसी इजाजत के गिरफ्तरी
3. Anticipatory Bail नही दी जाएगी

Click Here for official Rules and Amendments in reference to SC/ST Act

Article by Suparna Mishra, Advocate




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