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बैंक डूब जाए तो 1 लाख रुपये से ज्यादा जमा करने वालों का क्या होगा? दिल्ली HC ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र से पूछा कि अगर कोई बैंक विफल होता है तो बैंक में एक लाख रुपये से अधिक जमा रखने वाले ग्राहकों की सुरक्षा के लिए क्या उपाय हैं.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र से पूछा कि अगर कोई बैंक विफल होता है तो बैंक में एक लाख रुपये से अधिक जमा रखने वाले ग्राहकों की सुरक्षा के लिए क्या उपाय हैं.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र से पूछा कि अगर कोई बैंक विफल होता है तो ऐसी स्थिति में बैंक में एक लाख रुपये से अधिक जमा रखने वाले ग्राहकों की सुरक्षा के लिए क्या उपाय हैं.
मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायाधीश वी के राव ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये सवाल केंद्र सरकार से पूछा और इस बारे में हलफनामा देने को कहा.
याचिका में दावा किया गया था कि ‘डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कारपोरेशन (DICGC) प्रति ग्राहक एक लाख रुपये की जमा राशी पर ही बीमा उपलब्ध कराता है, भले ही उसने बचत खाते, मियादी या चालू खाते में कितनी भी राशि क्यों न जमा कर रखी हो.
रिजर्व बैंक की अनुषंगी DICGC का गठन 1961 में किया गया था. इसका मकसद बैंकों में जमा राशी पर बीमा और कर्ज सुविधा की गारंटी उपलब्ध कराना है.
प्रदीप कुमार ने जनहित याचिका दायर करते हुए खाते में चाहे कितनी भी राशि क्यों न जमा हो, अधिकतम एक लाख रुपये का ही बीमा उपलब्ध कराने के DICGC के फैसले को चुनौती दी है.
कुमार की तरफ से पेश अधिवक्ता विवेक टंडन ने पीठ के समक्ष कहा कि सूचना के अधिकार कानून के तहत प्राप्त सूचना के अनुसार देश में ऐसे 16.5 करोड़ खाते हैं जिसमें एक लाख रुपये से अधिक जमा हैं. उन्होंने कहा कि पिछले 25 साल में बीमा कवर की कोई समीक्षा नहीं हुई है.
जिसके बाद पीठ ने सरकार से पूछा कि ‘‘कानून के तहत क्या संरक्षण उपलब्ध है? कहां है ये?…बैंक खातों में जमा राशि पर क्या सुरक्षा उपलब्ध है. यह जन महत्व का मामला है.’’ अदालत ने केंद्र और DICGC को इन सवालों का जवाब देने के लिए हलफनामा दायर करने को कहा है.
Source : https://www.financialexpress.com/
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