Search This Blog

Original Stories by Author (68): Global Warming

This is a collection of Original Creation by Nilesh Mishra

कहानी 68 : ग्लोबल वार्मिंग

पृथ्वी के Global Average Temperature 2℃ बढे हुए 5 वर्ष व्यतीत हो चुके थे। दुनिया के नक्शे से कई भाग गायब हो चुके थे । भारत के लगभग सभी तटीय भाग समुद्र में समा चुके थे । बंगाल की खाड़ी अब बिहार की खाड़ी के नाम से जाना जाता था क्योंकि सागर का फैलाव अब देश के अंदरूनी भागो में हो चुका था। पटना भारत का नया मुम्बई था और तब बिहार राज्य में मराठा हटाओ आंदोलन जोरों पे था। उन दिनों उत्तम प्रदेश के इलाहाबाद नामक गाँव को भारत का नया गोआ कहा जाता था। गंगा यमुना और बिहार की खाड़ी का संगम अद्भुत लगता था। पर्यटन उद्योग के विकास की असीम संभावनाएं थी किंतु कतिपय कारणों से ऐसा हो नही पाया था। तत्कालीन पर्यटन कमिश्नर उज्ज्वल कटियार को इन कारणों का पता लगाने का जिम्मा सौंपा गया। इसी बीच कुछ जिज्ञासु विदेशी देश के भ्रमण पे आये। उनमें से 1 विदेशी श्रीमान बोलखोवस्की देश की प्राचीन विलुप्तप्राय कला, जिसे किसी जमाने मे "खुले में शौच" कला के नाम से जाना जाता था, के अध्य्यन हेतु उक्त इलाहाबाद गांव पहुंचे। अब बोलखोवस्की महाराज ज्यादा ही जिज्ञासु थे, सो History Geography जान लेने के बाद स्वयं उस गुप्त कला का अनुभव लेने के उद्देश्य से सागर तट के किनारे बैठ के अनुभव लेने लगे। इसी बीच वर्दीधारी दिव्य पुरुषों का आगमन हुआ और उन्होंने तुरंत बोलखोवस्की को डांट लगाई "अबे हट बे, क्या कर रहा है वहाँ, हट वहां से"
बोलखोवस्की महाराज भाषा समझ नही पाए और घबरा गए । उन्होंने झटपट पानी की बोतल निकालने के लिए हाथ पीछे घुमाया तो दिव्यपुरुषों को लगा कि वे हथियार निकाल रहे हैं और इसी गफलत में उन्होंने आत्मरक्षा में 2-3 राउंड फायर कर दिए। बोलखोवस्की खुले में खुल गए। अगले दिन जब श्रीमान कटियार ने अखबारों की हैडलाइन पढ़ी "दिव्य पुरुषों ने एक विदेशी द्वारा देश मे जैविक हथियार से हमला करने की योजना को किया नाकाम, मौके पे ही मार गिराया" तभी उन्होंने अपनी रिपोर्ट फाइनल कर दी। शायद उन्हें कारण समझ आ गया था।

--
नीलेश मिश्रा





Previous
Next Post »