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Original Stories by Author (75): The Fire

This is a collection of Original Creation by Nilesh Mishra

कहानी 75:  आग

सर्दियों की सन्ध्या थी। अंधकार प्रकाश को लील चुका था। ग्राम- पॉलिटिक्सपुर में झुनझुन बाबा और ख़लिहर पाड़े  दोनों आग के किनारे अकेले बैठे एक दूसरे के लिए सुर्ती बना रहे थे।
"लाओ पाड़े कितनी देर लगाओगे"
"लो बाबा, सुर्ती है, कोई बटन दबा के थोड़ी न तुरंत बन जाएगी"
"क्या लगता है कौन जीतेगा इस बार" सुर्ती एक गाल में दबा के झुनझुन बाबा ने राष्ट्रीय टॉपिक छेड़ दिया।
"बाबा जीते कोई भी पर लोधी इस बार नही आएगा"।
"जे हुई न शेरों वाली बात। ससुरा एक जमाने मे इतने टाइम आग के किनारे पूरा गांव हमसे राय मशविरा करने आता था, हमारे किस्से कहानी सुनने का लौंडो में क्रेज हुआ करता था। साला जब से पूरे दिन भर रात भर लाइट आने लगीं है तबसे कोई बाहर ही नही निकलता।"
"हाँ बाबा सही कहे। ई लाइट वाइट के चक्कर मे अमरूदकली से मिलना भी नही हो पाता अब। हमेशा साली लाइट जुग जुग जलती रहती है।"
ये सुनके बाबा जोर से ठहाका मार के हंस पड़े।
"ससुर तुमहू अपने दादा पे गए हो। दूसर कै मेहरारू तुहे बहुत भावे है"
"अरे बाबा अब आप ही बताओ पहले आप इतने समय तक खा के सुत जात रहो। अब 2 घण्टा बाद जब आपकी बहुरिया नागिन, काला टिका वाली सीरियल निपटा लेगी तब तुमको खाना नसीब होगा। "
"हम्म" - बाबा अत्यन्त गहरी मुद्रा में बोले।
"साला इससे सही टाइम तभी था जब बत्ती या तो नही थी या आती भी थी तो 4 घण्टे रहा करती थीं। सब जल्दी सो के भोर में जल्दी उठ जाया करते थे। अब तो सब कलजुगहा हो गए हैं।" - बाबा अपने जमाने की यादों में खोते हुए बोले।
"चलो बाबा इसी बात पे कसम खाते है कि आपको ये दुर्दिन दिखाने वाले लोधी को इस बार वोट नही देंगे।" - पाड़े जी ने क्रांतिकारी आवाज में कहा।
"बिल्कुल नही देंगे, भलबे से ढुलमुल को जिताना पड़े।.........अबे कहाँ चल दिये" - बाबा के जोशीले तेवर में खलल पड़ गया जब पाड़े वहां से अचानक मोबाइल में मुहँ डाल के चल दिया।
"अरे बाबा नेट पैक खत्म था। भइया को रिचार्ज को बोला था। अब आया। जा रहा हूँ important काम करने" - पाड़े के तेजी से विपरीत दिशा में बढ़ते कदम उसकी बातों में डाप्लर प्रभाव को सत्यापित कर रहे थे।
"बाऊजी आ जॉइए , बिग बॉस शुरू होने वाला है" - अंदर से बहु रानी की आवाज आई।
"आया आया रोक के रखना। आज देखूं कौन निकलता है"- यह कहते हुए झुनझुन बाबा भी उठ के अंदर चल दिए।
दोनों के चले जाने के बाद बाहर अब सिर्फ आग ही बची रह गई थी।

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नीलेश मिश्रा


विशेष आभार : Arpit Goswami








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