This is a collection of Original Creation by Nilesh Mishra
कहानी 87: अज्ञानता का सुख
"शिवानी
बेटे तुम्हारा कोरियर आया है" - सासू माँ ने आवाज लगाई। अधसुलझे बालों को
संवारती शिवानी दरवाजे पर पहुंच गई जहां अमेज़न का कूरियर बॉय पैकेट नीचे रख
टेबलेट पर साइन लेकर दूसरी जगह डिलीवरी ले जाने को तैयार खड़ा था। सब
औपचारिकताएं निपटा कर पैकेट लेकर शिवानी अपने कमरे में गई और पैकेट खोला।
पैकिंग खोलने पर एक Birthday Card और एक हैडफ़ोन नुमा यंत्र मिला जिसपर
Tesla कम्पनी का लोगो छपा था। साथ मे कोई User Mannual नही था बस Birthday
Card में कुछ सन्देश था - "जन्मदिन मुबारक हो शिवानी। ये तुम्हारे जन्मदिन
का गिफ्ट भेज रहा हूँ। जब तुम्हें लगे तुम बहुत खुश हो तो इस हैडफ़ोन को कान
में लगा लेना। मैं तो नही, पर आशा करता हूँ ये उपहार तुम्हारा नजरिया जरूर
बदल देगा।"
शिवानी मंद मंद मुस्कुराने लगी। उसे समझ
आ गया कि ये हो न हो अनुपम ने ही भेजा है। लेकिन शादी के बाद पहले जन्मदिन
पर कोई हैडफ़ोन देता है भला। ये सोच कर शिवानी ने शाम को अनुपम के आने पर
उसके सामने रूठने का नाटक करने का मन बनाया।
शिवानी
ऑफिस पहुंची, वहां स्टाफ और बॉस ने उसके जन्मदिन मनाने की पूरी तैयारियां
कर रखी थी। केक कटा, सहकर्मियों और बॉस की इस दरियादिली से शिवानी अभिभूत
हो गई। इन सब से जब थोड़ी फुर्सत हुई तो शिवानी को हेडफोन याद आया। "चलो
लगाकर देखते हैं। अरे ये क्या ये हैडफ़ोन तो Cordless है! और इसके ऊपर ये
छोटा छतरी नुमा यंत्र क्या है!" - इन्ही सवालों में फंसी शिवानी के हाथों
ने कब उस हैडफ़ोन को सर से होते हुए कानों में लगा लिया, उसे भी पता न चला।
अचानक उसे भुनभुनाहट सुनाई देने लगी। उसने सर उठा कर देखा तो 20 फीट दूर
बॉस अपने केबिन से उसी की ओर देख रहे थे। बॉस से आंखे टकराई तो एक General
Courtesy के नाम पर उसने मुस्कुरा दिया। बॉस ने भी उसे देख कर मुस्कुरा
दिया। कि तभी शिवानी के कानों में आवाज गूंजी - "आह मुस्कुरा दी आखिर। अब
तो इसे पटाने में दो तीन दिन से ज्यादा नही लगेगा। आज जन्मदिन है इसका ,
इसको बाहर ले जाने का अच्छा मौका है। पूंछ ही लू क्या" - इस तरह की आवाज
सुन कर शिवानी के चेहरे की मुस्कान गायब हो गई। वो समझ नही पाई कि जब बॉस
अभी भी उसको देख कर मुस्कुरा ही रहें हैं तो ये आवाज कहाँ से आ रही। उसने
हैडफ़ोन निकाल दिया। भुनभुनाहट खत्म हो गई। शिवानी को कुछ भी समझ नही आ रहा
था। वो हैडफ़ोन को उलट पुलट कर चेक करने लगी। कि तभी उसके Cubical के पास
बॉस की आवाज सुनाई दी "हे शिवानी! The Birthday Girl, क्या प्लान है आज का
तुम्हारा!"
शिवानी तुरंत सीट पर से उठ कर खड़ी हो गई। उसे अजीब लग रहा था। Deja Vu शायद इसी feeling को कहते होंगे - ऐसा वो सोचने लगी।
"सर आज की शाम तो Family के नाम है।" - शिवानी ने मुस्कुरा के जवाब दिया।
"अरे हम भी तो फैमिली के मेंबर की तरह ही हैं।" - दाल गलती न देख, बॉस कुटिल हंसी रखते हुए अपने केबिन की ओर रवाना हो गए।
पूरे
दिन शिवानी Google पर यही खोजती रही कि ये हैडफ़ोन और Tesla का क्या लफड़ा
है। लेकिन "Elon Musk Company Tesla is developing a Human Brain -
Computer Interface" के अलावा उसे कुछ भी Fruitful नहीं मिला।
शाम
को घर पहुंचने पर पति सास ससुर और ननद आरती की थाल और केक लेकर शिवानी के
स्वागत में खड़े थे। शिवानी अपने आप को दुनिया की सबसे भाग्यशाली इंसान समझ
रही थी। Happy Birthday to You गाना गाने के बाद पति देव ने तुरंत उसके गले
मे 22 कैरेट की सोने की चैन पहना दी। शिवानी के रूठने के प्रोग्राम पर
पानी फिर गया। आज शिवानी बेहद खुश थी। dinner की टेबल पर बैठी शिवानी यही
सब सोच कर खुश हो रही थी कि अचानक उसे हैडफ़ोन का ख्याल आया। उसने उन्हें
पहन लिया। भुनभुनाहट फिर से शुरू हो गई। "क्या फायदा बहू होने का जब सारा
काम घर का आज भी मुझे ही करना पड़ रहा है।"
"इन
महारानी को कोई घर का काम न करना पड़े इसीलिए ऑफिस का चक्कर पाल रखी हैं।
जैसे हम तो पढ़े लिखे हैं नही। हम तो इनकी सेवा करने के लिए ही पैदा हुए हैं
न"
इन आवाजो के पीछे कौन है ये शिवानी अच्छी तरह से
पहचान सकती थी लेकिन उसे समझ नही आ रहा था ऐसा कैसे हो सकता है। क्योंकि
सासु माँ और ननद दोनों मुस्कुरा मुस्कुरा के खाना परोस रही थी। इधर एक आवाज
ने उसे तुरंत हैडफ़ोन उतारने पर मजबूर कर दिया। ये आवाज उसके पति की थी जो
कह रहा था "मेरी भी मति मारी गई थी। इन मैडम के लिए मैं सोने का हार लेके
आया हूँ और ये हैडफ़ोन लगा के बैठी हैं। इससे बढ़िया तो नेहा ही थी। ये तो
निहायत बत्तमीज निकली।"
शिवानी ने तुरंत हैडफ़ोन निकाल के अलग रखा।
"अरे भई कौन सा गाना सुना जा रहा है नया नया हेडफोन लगा के" - अनुपम ने प्यार भरे शब्दो से कहा।
Dinner
खत्म हुआ। जब दोनों कमरे में पहुंचे तब शिवानी ने अनुपम को गले लगाते हुए
कहा "सॉरी अनुपम! मैं गलत थी। मैं समझ गई। कि तुम क्यों शादी के बाद भी
अपना मोबाइल मुझे देने से बचते रहते हो। मुझे समझ आ गया। हर चीज जानना
जरूरी नही है, कुछ मन की बातें मन मे ही रहना सबके लिए अच्छा है। कभी कभी
अज्ञानता में ही अनन्त सुख छुपा हुआ रहता है। Thanks for this lesson जानू।
अब मुझे उस हैडफ़ोन की कोई जरूरत नही।" - शिवानी ने कृतज्ञता दर्शाते हुए
अनुपम से कहा।
"कौन सा हैडफ़ोन?" - अनुपम ने आश्चर्य व्यक्त किया।
"अरे वही जो तुमने मुझे अमेजन के through आर्डर किया था - वो जो सामने पड़ा है" - शिवानी ने जमीन पर पड़े हैडफ़ोन की ओर इशारा किया।
"अरे नही यार मैंने कोई हैडफ़ोन ऑर्डर नही किया। सारा बजट तो सोने की चैन में घुस गया।"
शिवानी अब डर और आश्चर्य मिश्रित भावना से उस हैडफोन को निहार रही थी।
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नीलेश मिश्रा
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