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Original Stories by Author (93): Gandhi Mahatmya

This is a collection of Original Creation by Nilesh Mishra


कहानी 93: गांधी माहात्म्य

ये विदेशी लोग भी एकदम बिंदास प्रवृत्ति के होते हैं। जब मन किया निकल लिए दुनिया के किसी भी कोने में एक छोटा बैग और कैमरा लेकर। इसी तरह का चस्का एक बार व्हाट्सएप के संस्थापक ब्रायन एक्टन को भी लगा। फेसबुक को अरबों यूजर्स का डाटा बेच कर अब वैसे भी वो खलिहर ही थे। असली भारत के दर्शन करने की आकांक्षा मन मे लिए निकल पड़े देशाटन पर और पहुंच गए नवाबों के शहर लखनऊ में। वे भारत को भारतीयों की नजर से देखना चाहते थे इसलिए यहीं की वेशभूषा धारण की, सस्ता होटल लिया, बाइक किराए पर ली और पास के चौराहे वाली दुकान पर पहुंच गए जलेबी लेने। तब तक कोई बाइक सवार चोर महोदय का छोटा बैग छीन कर भाग निकला। एक्टन ने पास खड़े डायल 100 वाहन के समीप पहुँच अपनी व्यथा व्यक्त की औऱ मदद मांगी। सिपाही मांगिराम और दरोगा धनीराम दोनों ने एक दूसरे की ओर देखा, आंखों ही आंखों में बात की और महोदय से कहा - "वो बाद में देखेंगे पहिले ये बताओ कि बिना हेलमेट के बाइक कैसे लेकर चला रहे हो। गाड़ी का कागज, ड्राइविंग लाइसेंस, इन्शुरेन्स और प्रदूषण का कागज दिखाओ तुरन्त।"
एक्टन- "सर ये गाड़ी किराए की है और मेरे सारे कागजात, एटीएम, पासपोर्ट, वीजा सब उसी छोटे बैग में थे जो चोर लेकर भाग गया।"
दोनों ने फिर एक दूसरे की तरफ देखा और तत्पश्चात दरोगा जी ने सिपाही को आदेशित किया - "साला ये फ्राड केस लगता है। झूठ बोल रहा है। ले चलो थाने इसको"
थाने पहुंच कर पूछताछ का सिलसिला शुरू हुआ। बातों बातों में एक्टन जी ने अपना परिचय दिया कि वे एक इंजीनियर हैं और सॉफ्टवेयर डेवलप करते हैं। तो दरोगा जी ने सारगर्भित ढंग से पूछा - "वो सब ठीक है, ये बताओ हमारे 'Development' के लिए क्या करोगे।"
"सर मैं आपके लिए कोई भी सॉफ्टवेयर डेवलप कर सकता हूँ आप कह के तो देखिए बस मेरा वो बैग दिलवा दीजिये।" -एक्टन जी ने आशातीत होकर कहा।
"लगता है अभी इसको समझ नही आया। इसको कोने में ले जाओ औऱ इसकी सेवा करो" - दरोगा जी ने सिपाही से कहा। 2 घंटे की दर्दनाक सेवा के बाद एक्टन जी से पूछताछ का सिलसिला पुनः शुरू हुआ।
"हां अब बता तू कौन है। साले विदेशी एजेंट।" - दरोगा जी ने घुड़की दी।
"सर मैं सच कह रहा हूं मैं बहुत बढ़िया सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ। मैने Whatsapp बनाया था आपने शायद सुना हो और यूज भी किया हो। वो मेरी ही कम्पनी है। मैं तो यहां सिर्फ घूमने आया था।" - एक्टन जी ने रुंधे गले से अपनी बात रखी।
"अच्छा! अच्छा ये बताओ मेरा लड़का भी इंजीनियर है, उसे अपने यहां काम पे रखोगे?" - दरोगा जी ने प्रश्न दागा।
"उसकी क्वालिफिकेशन और एक्सपीरियंस क्या है?"- एक्टन ने फिर आशा भरी निगाहों से पूछा।
"सिविल से इंजीनियरिंग किया है - उत्तर प्रदेश बर्बाद टेक्निकल यूनिवर्सिटी से - सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनाओगे उसे?" - दरोगा जी ने ऑफर रखा।
"सर अगर उसको रख लिया तो हमारी कम्पनी बर्बाद हो जाएगी।" - एक्टन ने रहम की गुहार लगाई।
दरोगा जी को गुस्सा आ चुका था। "साहब ये व्हाट्सएप्प वही है न जिसपे लोग चुपके से हमारी वीडियो बना के वायरल कर देते हैं, साला पूरा धंधा ही चौपट कर दिया है।" - मांगिराम ने आग में घी डाल दिया। नतीजतन, एक्टन साहब फिर फुटबॉल के जादूगर बनाए गए। जब मतलब भर का लात घूसा खाने के बाद होश में आए, तो मांगिराम से इस समस्या से निकलने का जुगाड़ पूछा। तत्पश्चात, वो उन्हें दरोगा जी के पास ले गया। "साहब ये compromise करने को तैयार हैं" - मांगिराम ने बताया।
"सर आप Paytm, Google Pay या कोई और UPI यूज करते हों तो बताइए मैं तुरंत प्रबंध कर देता हूं।" - इस बार एक्टन महोदय ने ऑफर रखा और तुरंत 2 तमाचे उनके गाल पर रसीद हो गए।
"साले हमसे मजाक करता है। देश इतना तरक्की नही कर गया है कि चढ़ावा डिजिटल पेमेंट से ले। अभी ज्यादा तीन पांच किया न तो गांजा की बरामदगी तेरे पॉकेट से दिखा दूंगा फिर बनाते रहना वाट्सएप यहीं जेल में।"
तभी अचानक काले सूट पैंट और टाई में काला चश्मा लगाए और काली अटैची लिए गोरा आदमी थाने में आता है और दरोगा जी को अटैची देकर उनके कान में कुछ फुसफुसाता है। उसके बाद दरोगा जी एक्टन साहब को छोड़ देते हैं।
बाहर निकलकर एक्टन उस सूट बूट वाले आदमी के गले लग कर रोने लगते हैं और पूछते हैं ये सब क्या हुआ।
सूट बूट वाला आदमी उन्हें बताता है कि वो CIA का एजेंट है। अंकल सैम सब देख रहे हैं। ये लो तुम्हारा चोरी हुआ बैग।
एक्टन - "थैंक यू सो मच फ़ॉर सेविंग माइ लाइफ! लेकिन उस अटैची में क्या था?"
एजेंट-"बस यूं समझ लो कि आज गांधी जी ने तुम्हे बचा लिया। यहाँ लोगों में गांधी जी की बड़ी इज्जत है - पर अफसोस केवल कागज के टुकड़ों में लगी फ़ोटो के लिए।"

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नीलेश मिश्रा






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