मासूम प्रश्न:
कालांतर में मेरे सरकारी भाइयों को शंका हुई तो उन्होंने मुझसे पूछा कि यार इस पोस्ट को पाने के लिए Maths, Reasoning, Current Affairs, General Studies, Hindi, English सब के प्रश्न पेपर में झोंक दिये गए और यहां आकर पता चला कि उन सबका तो कोई काम ही नही है यहां! यहां काम तो कोई भी कर लेगा बस थोड़ा Common Sense होना चाहिए। फिर Recruitment के लिए इतना ताम झाम, इतनी टफ फाइट आखिर क्यों?
उन सबकी जिज्ञासाओ को शांत करने के लिए सरकारी आदमी ने एक पैर पर खड़े होकर अथक तप किया और ज्ञान प्राप्ति होने पर उन्होंने "सरकारी पुराण" की रचना की। इस महान ग्रन्थ के Why So नामक अध्याय में उपरोक्त प्रश्न के उत्तर निहित हैं इसमें बताया गया है कि किस प्रकार सभी परीक्षाएं होने वाले सरकारी आदमियों के लिए सरकारी तंत्र से रूबरू होने का माध्यम हैं यथा:-
1. परीक्षा के कई चरण प्री, मेंस, इंटरव्यू, डाटा एंट्री टेस्ट इत्यादि यह सिखातें हैं कि फाइल ऐसे ही नही पास होतीं, उन्हें कई चरणों से गुजरना पड़ता है, कई जटिलताओं और कठिन परिश्रम के बाद उन्हें approval मिलता है।
2. जिस प्रकार कोई उत्तर न देने पर आपके कोई अंक नही कटते किंतु गलत उत्तर आपके सही प्रश्नों के भी अंक में कमी ला देता है (नेगेटिव मार्किंग), उसी प्रकार आप काम न करें तो कोई नुकसान नही होगा, लेकिन जाने अंजाने आपने उड़ता तीर लिया तो Penalty पक्की है।
3. प्रश्न सरल हो या कठिन, सबके अंक समान होते हैं। उसी प्रकार आप नौकरी मेहनत से करें या घोंचू बन के, सब बराबर है और प्रोमोशन अपनी बारी से ही होगा इसलिए कठिन प्रश्नों पर ज्यादा समय न गवाएं।
4. प्रश्न भले आपको आता हो, पर गोला काला न करने के केस में उसके नम्बर नही मिलेंगे। काम चाहे जो करिए, बॉस की गुड बुक्स में आपका नाम दर्ज होना जरूर आना चाहिए।
5. प्रतियोगी परीक्षाओं में Competition लोगों में व्याप्त सरकारी आदमी बनने के तिलिस्म की वजह से है।
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सरकारी आदमी
(#SarkaariAdmi)
कालांतर में मेरे सरकारी भाइयों को शंका हुई तो उन्होंने मुझसे पूछा कि यार इस पोस्ट को पाने के लिए Maths, Reasoning, Current Affairs, General Studies, Hindi, English सब के प्रश्न पेपर में झोंक दिये गए और यहां आकर पता चला कि उन सबका तो कोई काम ही नही है यहां! यहां काम तो कोई भी कर लेगा बस थोड़ा Common Sense होना चाहिए। फिर Recruitment के लिए इतना ताम झाम, इतनी टफ फाइट आखिर क्यों?
उन सबकी जिज्ञासाओ को शांत करने के लिए सरकारी आदमी ने एक पैर पर खड़े होकर अथक तप किया और ज्ञान प्राप्ति होने पर उन्होंने "सरकारी पुराण" की रचना की। इस महान ग्रन्थ के Why So नामक अध्याय में उपरोक्त प्रश्न के उत्तर निहित हैं इसमें बताया गया है कि किस प्रकार सभी परीक्षाएं होने वाले सरकारी आदमियों के लिए सरकारी तंत्र से रूबरू होने का माध्यम हैं यथा:-
1. परीक्षा के कई चरण प्री, मेंस, इंटरव्यू, डाटा एंट्री टेस्ट इत्यादि यह सिखातें हैं कि फाइल ऐसे ही नही पास होतीं, उन्हें कई चरणों से गुजरना पड़ता है, कई जटिलताओं और कठिन परिश्रम के बाद उन्हें approval मिलता है।
2. जिस प्रकार कोई उत्तर न देने पर आपके कोई अंक नही कटते किंतु गलत उत्तर आपके सही प्रश्नों के भी अंक में कमी ला देता है (नेगेटिव मार्किंग), उसी प्रकार आप काम न करें तो कोई नुकसान नही होगा, लेकिन जाने अंजाने आपने उड़ता तीर लिया तो Penalty पक्की है।
3. प्रश्न सरल हो या कठिन, सबके अंक समान होते हैं। उसी प्रकार आप नौकरी मेहनत से करें या घोंचू बन के, सब बराबर है और प्रोमोशन अपनी बारी से ही होगा इसलिए कठिन प्रश्नों पर ज्यादा समय न गवाएं।
4. प्रश्न भले आपको आता हो, पर गोला काला न करने के केस में उसके नम्बर नही मिलेंगे। काम चाहे जो करिए, बॉस की गुड बुक्स में आपका नाम दर्ज होना जरूर आना चाहिए।
5. प्रतियोगी परीक्षाओं में Competition लोगों में व्याप्त सरकारी आदमी बनने के तिलिस्म की वजह से है।
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सरकारी आदमी
(#SarkaariAdmi)
1 comments:
Write commentsWhy don't you use default themes of blogger instead of using this theme. Blogger has some nice SEO themes.
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