नमस्कार दोस्तों स्वागत है हमारे चैनल Parrallel Universe 12 में। आइए नजर डालते हैं इतिहास के पन्नो पर।
वर्ष 2019 में एक देश में आम चुनाव हुए। देश की होनहार जनता ने प्रधानमंत्री पद के लिए राहू वादी को चुना। मंत्री मण्डल का गठन हुआ। गवीश कुमार को हर मामले में उनकी expertise को देखते हुए गृह मंत्री का पद दिया गया। अनुराज कश्यप को रक्षा मंत्रालय, स्वरा झास्कर को स्वास्थ्य और कुणाल गामरा को विदेश मंत्रालय की कमान सौंपी गई। प्रकांड विद्वान कौहैया कुमार को वित्त मंत्री की ज़िम्मेदारी दी गई।
सब कुछ बढ़िया चल रहा था। गरीबों को चार टाइम मुफ्त भोजन मिल रहा था। समस्त बुद्धिजीवी वर्ग शुद्ध आक्सीजन युक्त वातावरण में सांस ले रहा था। देश की जीडीपी एक साल में ही 12% बढ्ने को तैयार थी। तभी चीन की कृपा से दुनिया में कोरोना नामक महामारी फैलने की शुरुआत हो गई। राहू वादी बहुत Proactive लीडर थे। उस समय वे इटली में थे और New Year शिखर वार्ता में भाग लेने पहुंचे थे। लेकिन इस बात की प्रथम जानकारी होते ही उन्होने देश में अंतराष्ट्रीय उड़ानों को स्थगित करवाने का आदेश दे दिया। फिर जब वे Airforce One से देश में वापस पहुंचे तो उनके स्वागत में विदेश मंत्री और होम मिनिस्टर फूलों की माला लिए खड़े थे। और उनके पीछे खड़ी थी हजारों समर्थकों की भीड़ जो अपने प्रधानमंत्री पर जान छिड़कती थी। इसके बाद सब अपने अपने धाम को लौट गए।
3 दिन बाद प्रधानमंत्री जी में एक रहस्यमय बीमारी के लक्षण दिखने लगे। जांच में पता चला कि उन्हें तो वही बीमारी हो गई है जिसने चीन वालों का जीना मुहाल कर रखा है। सबका कागज फट गया। आनन फानन में तुरंत पूरे मंत्रिमंडल के सदस्यों की भी जांच कारवाई गई। उन सब में भी उस महामारी के प्रारम्भिक लक्षण पाये गए सिवाय स्वरा झास्कर के क्यूकी बहुत पहले उन्हें किसी और बड़े कीड़े ने काट कर इनफेक्ट कर रखा था और अब वो हर बीमारी से Immune थीं। पूरे Elite Panel में हाहाकार मच गया। प्रधानमंत्री के रुग्णावस्था में होने की वजह से सारा दारोमदार अब गृह मंत्री गवीश कुमार की अगुवाई में बाकी कैबिनेट मिनिस्टर्स के कंधों पर था जो कि यद्यपि खुद उसी बीमारी से ग्रसित थे किन्तु अब बड़े साहब का आदेश था तो अनुपालन सुनिश्चित करना ही था। देश में रोग से ग्रसित व्यक्तियों कि संख्या में आशातीत वृद्धि हो रही थी। तुरंत आकस्मिक मीटिंग बुलवाई गई। अधिकारियों ने बताया कि देश की आबादी व प्रति किमी घनत्व बेहद ज्यादा होने से स्थिति निकट भविष्य में भयावह हो सकती है। Solution के बारे में पुछे जाने पर किसी ने complete lockdown का solution दिया तो अनुराज कश्यप उसे वहीं गरियाने लगे "बिना तैयारी के Lockdown कैसे करेगा बे ***"।
"किसी भी फैसले पर अमल करने से पहले हमें गरीबों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों का ध्यान रखना चाहिए"- नेलपॉलिश छुटाते नाखूनों की ओर देखते हुए स्वरा झास्कर बोल पड़ीं। सब बातों पर सोचने के बाद गवीश कुमार ने कहा - "इस परिस्थिति से निपटने के लिए हमें लाखों की संख्या में डॉक्टर और हजारों कि संख्या में अस्पताल तैयार करने पड़ेंगे। गरीबों की भूख, उनकी रोजी रोटी और रहने का इंतेजाम करना होगा। पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की भावनाएं आहत न हों और उच्च तबके के लोग सरकारी सहायता का दुरुपयोग न करने पाएँ, इसका पूरा ख्याल रखना पड़ेगा। हमें भारी मात्रा में मास्क, दवाइयों और चिकित्सा उपकरणो की व्यवस्था करनी पड़ेगी।"
"सर पर कैसे होगा ये सब? लाखों डॉक्टर तैयार करने के लिए पहले ढेर सारे नए मेडिकल कॉलेज बनवाने होंगे, उस पर भी कम से कम 8 साल तो लगेंगे ही क्यूकी डाक्टरी का कोर्स लंबा होता है। मास्क दवाई और चिकित्सा उपकरण अभी बाहर से import करना मुश्किल है क्यूकी हर जगह यही हाल है और जरूरत भर की मात्रा में ये सब देश में ही तैयार करने मे भी कम से कम तीन महीने का समय तो लगेगा ही सर।"- वित्त सचिव ने अपना पक्ष रखा।
अब कुणाल गामरा, कौंहैया और गवीश के माथे पर बल आ गया। "अबे हम लोगों ने तो बुराई करना ही सीखा है, ये सब कैसे हैंडल किया जाए" - तीनों इस पर मंत्रणा करने लगे। अंत में सबने निश्चय किया कि इस दिन के लिए हम राजनीति में थोड़ीं न आए थे। सबने अपने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और अपने पूर्व व्यवसायों में संलग्न हो गए। कोई न्यूज चैनल में Anchoring करने लगा, तो कोई कॉमेडी।
अब संकट की इस घड़ी में देश भरोसे था श्री राहू वादी जी के।
क्या राहू जी के कुशल नेतृत्व में ये देश संकट से निकल पाएगा। ये जानने के लिए बने रहिए हमारे चैनल पर। बच गए तो फिर मिलेंगे। तब तक के लिए धन्यवाद।
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सरकारी आदमी
(#SarkaariAdmi)
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