This is a collection of Original Creation by Nilesh Mishra
व्यर्थ अविष्कार:
मानव जाति के उद्भव में तमाम आविष्कारों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। यहां आविष्कार शब्द से तात्पर्य नए ईजाद से है - फिर वो चाहे वैज्ञानिक क्षेत्र में हो, कला के क्षेत्र में हो या मिठाइयों के। लेकिन कुछ अविष्कारों को देख कर यही लगता है कि आखिर ये अविष्कार किये ही क्यों गए। उन्हीं अविष्कारों में से एक है सोहन पापड़ी नामक मिठाई जो तभी चर्चा में रहती है जब दीवाली या कोई और त्यौहार आता है। इस मिठाई पर तमाम जोक्स बन चुके हैं, इसे अनचाहे रिश्तेदारों को दीवाली गिफ्ट बता कर उनका चूतिया काटने के लिए प्रागैतिहासिक काल से प्रयोग में लाया जाता रहा है। लोग तो ये भी बताते हैं कि द्वितीय विश्वयुद्ध का आरंभ पोलैण्ड द्वारा जर्मनी को सोहन पापड़ी गिफ्ट करने से हुआ था। इसको खाने के अतिरिक्त हर काम में प्रयोग में लाया जाता रहा है। यद्यपि यह सत्य है कि ये सोहन पापड़ी ही है जिसने कई महान वैज्ञानिकों को ऊर्जा और द्रव्यमान संरक्षण के सिद्धांत के खोज की प्रेरणा दी। किंतु इसके अतिरिक्त इसका कोई और सार्थक पहलू मानव विकास क्रम में परिलक्षित नही होता। इसी तरह के कई अन्य व्यर्थ आविष्कार भी हैं यथा- उपमुख्यमंत्री का पद, अन्ना हजारे का आंदोलन, विवेक ओबरॉय, नोटबन्दी इत्यादि जिनपर एक बरगी नजर डालने पर यही ख्याल आता है - " अरे इसकी जरूरत ही क्या थी आखिर!"
शुभ दीपावली।
शुभ दीपावली।
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